हिप्पार्कस ने पहली बार एक वृत्त को 360 अंशों में विभाजित किया था, यह एक महत्वपूर्ण योगदान था जो खगोल विज्ञान और गणित के विकास में मील का पत्थर साबित हुआ। लेकिन इसके पीछे की कहानी और इसका महत्व समझना ज़रूरी है।
हिप्पार्कस, जो दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में एक ग्रीक खगोलशास्त्री, गणितज्ञ और भूगोलवेत्ता थे, को त्रिकोणमिति (trigonometry) का जनक भी माना जाता है। उन्होंने खगोलीय पिंडों की स्थिति को सटीक रूप से मापने और भविष्यवाणी करने की आवश्यकता महसूस की।
360 अंशों में विभाजन का विचार संभवतः बेबीलोनियों से आया था। बेबीलोनवासी षष्टिक (sexagesimal) अंक प्रणाली (आधार 60) का उपयोग करते थे, जिसका प्रभाव उनके खगोलीय मापों पर भी था। उनका मानना था कि एक वर्ष में लगभग 360 दिन होते हैं, और उन्होंने आकाश को उसी के अनुसार विभाजित किया।
हिप्पार्कस ने इस बेबीलोनियन प्रणाली को अपनाया और उसे और परिष्कृत किया। उन्होंने त्रिकोणमिति की अवधारणाओं का उपयोग करके खगोलीय पिंडों की स्थिति को सटीक रूप से निर्धारित करने के लिए एक प्रणाली विकसित की। 360 अंशों का विभाजन गणनाओं को आसान बनाता था क्योंकि यह कई संख्याओं (जैसे 2, 3, 4, 5, 6, 8, 9, 10, 12, 15, 18, 20, 24, 30, 36, 40, 45, 60, 72, 90, 120, 180) से विभाज्य है।
हिप्पार्कस का यह विभाजन आज भी हमारे द्वारा उपयोग किया जाता है। यह न केवल कोणों को मापने का एक मानक तरीका है, बल्कि यह नेविगेशन, इंजीनियरिंग और ग्राफिक्स जैसे कई क्षेत्रों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। इसलिए, हिप्पार्कस का 360 अंशों का विभाजन न केवल एक गणितीय अवधारणा है, बल्कि यह हमारे आधुनिक जीवन का एक अभिन्न अंग है।
Answered :- 2022-12-22 09:45:15
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