2001 से 2011 के बीच भारत की जनसंख्या में 18.2 करोड़ की वृद्धि हुई, जो कि एक महत्वपूर्ण संख्या है। यह वृद्धि भारत की जनसंख्या वृद्धि दर को दर्शाती है और इसके सामाजिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव हैं। जनसंख्या वृद्धि दर: इस दशक (2001-2011) में भारत की दशकीय जनसंख्या वृद्धि दर लगभग 17.7% रही, जो पिछली दशकीय वृद्धि दर (1991-2001) से थोड़ी कम थी, जो लगभग 21.5% थी। यह दिखाता है कि जनसंख्या वृद्धि दर धीमी हो रही है, लेकिन जनसंख्या में निरपेक्ष वृद्धि अभी भी बहुत अधिक है। कारण: जनसंख्या वृद्धि के कई कारण हैं, जिनमें जन्म दर, मृत्यु दर, जीवन प्रत्याशा में वृद्धि और प्रवास शामिल हैं। भारत में, उच्च जन्म दर और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं के कारण मृत्यु दर में कमी जनसंख्या वृद्धि के मुख्य कारण हैं। प्रभाव: इतनी अधिक जनसंख्या वृद्धि के कई प्रभाव हैं: संसाधनों पर दबाव: जनसंख्या वृद्धि से प्राकृतिक संसाधनों जैसे पानी, भूमि और ऊर्जा पर दबाव बढ़ता है। गरीबी और बेरोजगारी: जनसंख्या वृद्धि से गरीबी और बेरोजगारी की समस्या बढ़ सकती है क्योंकि रोजगार के अवसर जनसंख्या वृद्धि के साथ तालमेल नहीं बिठा पाते। शहरीकरण: जनसंख्या वृद्धि से शहरों में प्रवास बढ़ता है, जिससे शहरी क्षेत्रों में भीड़भाड़ और बुनियादी सुविधाओं पर दबाव बढ़ता है। पर्यावरण प्रदूषण: जनसंख्या वृद्धि से पर्यावरण प्रदूषण की समस्या भी बढ़ती है। सरकार के प्रयास: भारत सरकार जनसंख्या नियंत्रण के लिए कई कार्यक्रम चला रही है, जैसे परिवार नियोजन कार्यक्रम और शिक्षा को बढ़ावा देना। 2001-2011 के दौरान 18.2 करोड़ की जनसंख्या वृद्धि भारत के लिए एक महत्वपूर्ण चुनौती है, लेकिन सरकार और समाज द्वारा किए गए प्रयासों से जनसंख्या वृद्धि को स्थिर करने और इसके नकारात्मक प्रभावों को कम करने में मदद मिल सकती है।