स्थलमंडल का विस्तार लगभग 100 किमी की गहराई तक है। लेकिन इसे और अधिक विस्तार से समझने के लिए, कुछ अतिरिक्त जानकारी महत्वपूर्ण हैं: स्थलमंडल क्या है: स्थलमंडल पृथ्वी की सबसे बाहरी परत है, जिसमें क्रस्ट (भूपर्पटी) और ऊपरी मेंटल का सबसे ऊपरी भाग शामिल होता है। यह एक कठोर और ठोस परत है। गहराई में भिन्नता: 100 किमी की गहराई एक औसत अनुमान है। स्थलमंडल की मोटाई हर जगह समान नहीं होती है। यह महाद्वीपों के नीचे अधिक मोटा (लगभग 200 किमी तक) और महासागरों के नीचे पतला (कुछ स्थानों पर 5 किमी से भी कम) होता है। एस्थेनोस्फीयर: स्थलमंडल के नीचे एस्थेनोस्फीयर (दुर्बलतामंडल) नामक एक परत होती है, जो अपेक्षाकृत नरम और आंशिक रूप से पिघली हुई होती है। स्थलमंडल इसी एस्थेनोस्फीयर के ऊपर तैरता है। प्लेट टेक्टोनिक्स की प्रक्रिया में एस्थेनोस्फीयर महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। प्लेट टेक्टोनिक्स: स्थलमंडल कई बड़े और छोटे टुकड़ों में विभाजित है, जिन्हें प्लेटें कहा जाता है। ये प्लेटें धीरे-धीरे एस्थेनोस्फीयर पर गति करती हैं, जिसके कारण भूकंप, ज्वालामुखी और पर्वत निर्माण जैसी भूगर्भीय घटनाएं होती हैं। महत्व: स्थलमंडल जीवन के लिए आवश्यक है। यह मिट्टी, खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधन प्रदान करता है। यह पृथ्वी के तापमान को नियंत्रित करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। संक्षेप में, स्थलमंडल पृथ्वी की सबसे बाहरी कठोर परत है, जो लगभग 100 किमी गहरी है, लेकिन इसकी मोटाई विभिन्न स्थानों पर भिन्न होती है। यह प्लेट टेक्टोनिक्स और जीवन के लिए महत्वपूर्ण है।