मंगल ग्रह पर दो ध्रुव हैं, ठीक पृथ्वी की तरह: उत्तरी ध्रुव और दक्षिणी ध्रुव। इन ध्रुवों पर बर्फ की टोपियां मौजूद हैं, जो मुख्यतः जमे हुए पानी और कार्बन डाइऑक्साइड (सूखी बर्फ) से बनी होती हैं। मंगल के ध्रुवीय बर्फ़ की टोपियों में मौसमी बदलाव आते हैं। सर्दियों में, तापमान गिरने पर कार्बन डाइऑक्साइड गैस ठोस होकर बर्फ के रूप में ध्रुवों पर जम जाती है, जिससे बर्फ की टोपियां आकार में बढ़ जाती हैं। गर्मियों में, जब तापमान बढ़ता है, तो कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ उर्ध्वपातित (sublimate) होकर सीधे गैस में बदल जाती है, जिससे बर्फ की टोपियां सिकुड़ जाती हैं। मंगल के उत्तरी ध्रुव की तुलना में दक्षिणी ध्रुव का तापमान अधिक ठंडा होता है। उत्तरी ध्रुव की बर्फ की टोपी ज्यादातर पानी की बर्फ से बनी होती है, जबकि दक्षिणी ध्रुव की बर्फ की टोपी में कार्बन डाइऑक्साइड की बर्फ की एक महत्वपूर्ण परत होती है। इसके अलावा, मंगल के दक्षिणी ध्रुव पर "स्विस पनीर" जैसे गड्ढों वाली एक अनोखी स्थलाकृति भी देखी जाती है, जो कार्बन डाइऑक्साइड की बर्फ के उर्ध्वपातन के कारण बनती है। वैज्ञानिक मंगल के ध्रुवीय बर्फ की टोपियों का अध्ययन करके ग्रह के जलवायु इतिहास और पानी की उपलब्धता के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त करते हैं। इन टोपियों में जमा बर्फ मंगल ग्रह पर पानी के अतीत और भविष्य के बारे में सुराग दे सकती है।