सूर्य के कलंकों का तापमान सूर्य की सतह के तापमान से लगभग 1500 डिग्री सेल्सियस कम होता है। सूर्य की सतह का तापमान लगभग 5500 डिग्री सेल्सियस होता है, जबकि सूर्य के कलंकों का तापमान लगभग 4000 डिग्री सेल्सियस होता है।
यह तापमान अंतर सूर्य के कलंकों की चुंबकीय गतिविधि के कारण होता है। सूर्य के कलंक उन क्षेत्रों में बनते हैं जहाँ चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ सूर्य की सतह को भेदती हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र रेखाएँ संवहन को बाधित करती हैं, जो सूर्य की सतह पर गर्मी लाती है। नतीजतन, सूर्य के कलंक आसपास के क्षेत्रों की तुलना में ठंडे होते हैं।
सूर्य के कलंक अपेक्षाकृत अस्थायी घटनाएं हैं जो कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकती हैं। उनकी संख्या एक 11-वर्षीय चक्र में बदलती रहती है, जिसे सौर चक्र के रूप में जाना जाता है। सूर्य के कलंक सौर गतिविधि का एक महत्वपूर्ण संकेतक हैं, जो पृथ्वी पर मौसम और संचार प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है।
यहाँ कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
चुंबकीय क्षेत्र: सूर्य के कलंक मजबूत चुंबकीय क्षेत्रों के क्षेत्र हैं। ये चुंबकीय क्षेत्र आसपास के प्लाज्मा के प्रवाह को बाधित करते हैं, जिससे वे ठंडे और गहरे दिखाई देते हैं।
उम्र: सूर्य के कलंक कुछ दिनों से लेकर कुछ हफ्तों तक रह सकते हैं।
सौर चक्र: सूर्य के कलंक की संख्या 11 साल के चक्र में बदलती रहती है, जिसे सौर चक्र के रूप में जाना जाता है। सौर चक्र के दौरान, सूर्य के कलंक की संख्या बढ़ती और घटती है। जब सूर्य के कलंक की संख्या सबसे अधिक होती है, तो इसे सौर अधिकतम कहा जाता है। जब सूर्य के कलंक की संख्या सबसे कम होती है, तो इसे सौर न्यूनतम कहा जाता है।
पृथ्वी पर प्रभाव: सूर्य के कलंक सौर गतिविधि का एक महत्वपूर्ण संकेतक हैं। सौर गतिविधि पृथ्वी पर मौसम और संचार प्रणालियों को प्रभावित कर सकती है। उदाहरण के लिए, सौर ज्वालाएं और कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई) पृथ्वी पर रेडियो संचार को बाधित कर सकते हैं और भू-चुंबकीय तूफान पैदा कर सकते हैं।
Answered :- 2022-11-30 09:32:55
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