सूर्य के केंद्र से निकलने वाली तरंगें वास्तव में एक्स-रे और गामा किरणें ही होती हैं, जो फोटॉन की धारा के रूप में उत्सर्जित होती हैं। लेकिन, यहाँ कुछ और विवरण दिए गए हैं:
उत्पत्ति: सूर्य के केंद्र में अत्यधिक उच्च तापमान (लगभग 15 मिलियन डिग्री सेल्सियस) और दबाव होता है। इस वातावरण में, परमाणु संलयन की प्रक्रिया होती है, जिसमें हाइड्रोजन परमाणु मिलकर हीलियम बनाते हैं। इस प्रक्रिया में भारी मात्रा में ऊर्जा निकलती है, जो एक्स-रे और गामा किरणों के रूप में विकिरणित होती है।
प्रक्रिया: जब ये उच्च-ऊर्जा फोटॉन सूर्य के केंद्र से बाहर की ओर यात्रा करते हैं, तो वे प्लाज्मा के घने माध्यम से गुजरते हैं। इस दौरान, वे लगातार परमाणुओं से टकराते हैं और अपनी ऊर्जा खोते जाते हैं। इस प्रक्रिया को प्रकीर्णन (scattering) कहा जाता है।
सतह तक: सूर्य की सतह तक पहुँचते-पहुँचते, एक्स-रे और गामा किरणें अपनी अधिकांश ऊर्जा खो चुकी होती हैं और उनकी तरंग दैर्ध्य (wavelength) बढ़ जाती है। इस कारण, वे कम ऊर्जा वाले विकिरण, जैसे दृश्य प्रकाश (visible light), अवरक्त विकिरण (infrared radiation), और पराबैंगनी विकिरण (ultraviolet radiation) में परिवर्तित हो जाती हैं।
पृथ्वी पर प्रभाव: सूर्य से निकलने वाले दृश्य प्रकाश और अन्य विकिरण ही पृथ्वी पर जीवन के लिए आवश्यक ऊर्जा प्रदान करते हैं। हालांकि, हानिकारक विकिरण, जैसे एक्स-रे और गामा किरणें, पृथ्वी के वायुमंडल द्वारा अवशोषित कर ली जाती हैं, जिससे जीवों की रक्षा होती है।
संक्षेप में, सूर्य के केंद्र से एक्स-रे और गामा किरणें निकलती हैं, लेकिन वे अपनी यात्रा के दौरान परिवर्तित होकर विभिन्न प्रकार के विकिरणों में बदल जाती हैं जो अंततः पृथ्वी तक पहुँचते हैं।
Answered :- 2022-11-30 09:32:55
Academy