1996 में रूसी अन्वेषक वोस्तोक नहीं, बल्कि रूसी और ब्रिटिश वैज्ञानिकों के एक दल ने अंटार्कटिका महाद्वीप में वोस्तोक झील के अस्तित्व की पुष्टि की थी। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि वोस्तोक झील की परिकल्पना बहुत पहले की गई थी, लेकिन आधुनिक तकनीकों और वैज्ञानिक डेटा के माध्यम से इसका पता लगाने और पुष्टि करने में 1996 में सफलता मिली। वोस्तोक झील, अंटार्कटिका में स्थित सबसे बड़ी उपग्लेशियल झीलों में से एक है। यह बर्फ की लगभग 4 किलोमीटर मोटी परत के नीचे दबी हुई है। इस झील का क्षेत्रफल लगभग 12,500 वर्ग किलोमीटर है और यह ताज़े पानी की झील है। वोस्तोक झील की खोज वैज्ञानिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्वपूर्ण है क्योंकि: प्राचीन जीवन के संकेत: यह झील लाखों वर्षों से बर्फ के नीचे दबी हुई है, इसलिए इसमें ऐसे सूक्ष्म जीवों के होने की संभावना है जो पृथ्वी पर जीवन के शुरुआती रूपों के बारे में जानकारी दे सकते हैं। अलौकिक जीवन की संभावना: कुछ वैज्ञानिक मानते हैं कि वोस्तोक झील की परिस्थितियाँ बृहस्पति के चंद्रमा यूरोपा जैसी हैं, जिससे अलौकिक जीवन की संभावनाओं का अध्ययन करने में मदद मिल सकती है। जलवायु परिवर्तन का अध्ययन: झील के पानी में फंसे प्राचीन कण जलवायु परिवर्तन के इतिहास और भविष्य के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते हैं। वोस्तोक झील तक पहुंचने और इसका अध्ययन करने के लिए वैज्ञानिकों ने कई चुनौतीपूर्ण तकनीकों का इस्तेमाल किया है, जिसमें ड्रिलिंग और रिमोट सेंसिंग शामिल हैं। इस झील पर शोध अभी भी जारी है और इससे पृथ्वी और जीवन के बारे में हमारी समझ में महत्वपूर्ण योगदान मिलने की उम्मीद है।