जैन धर्म के 9वें तीर्थंकर सुविधिनाथ थे, जिन्हें पुष्पदंत के नाम से भी जाना जाता है। वे इक्ष्वाकु वंश में जन्मे थे और उनका जन्म काकंदी नगर में हुआ था। उनके पिता का नाम राजा सुग्रीव और माता का नाम रामा था।
सुविधिनाथ ने सांसारिक जीवन त्याग कर आध्यात्मिक मार्ग अपनाया। उन्होंने कठोर तपस्या की और अंततः कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया, जिसके बाद वे तीर्थंकर बने। अपने तीर्थंकर काल में, उन्होंने जैन धर्म के सिद्धांतों का प्रचार किया और लोगों को अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य (संयम), और अपरिग्रह (गैर-आसक्ति) जैसे मूल्यों का पालन करने के लिए प्रेरित किया।
जैन धर्म में, तीर्थंकरों को मोक्ष प्राप्त आत्माओं के रूप में माना जाता है जो दूसरों को मोक्ष का मार्ग दिखाते हैं। सुविधिनाथ का जीवन जैन अनुयायियों के लिए प्रेरणा का स्रोत है, और उनके उपदेश जैन दर्शन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
Answered :- 2022-12-08 07:59:58
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