अकबर ने मुजफ्फर खाँ के बाद राजा टोडरमल को दीवान नियुक्त किया था। यह नियुक्ति मुगल साम्राज्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ थी।
राजा टोडरमल:
पृष्ठभूमि: टोडरमल, जिनका जन्म संभवतः उत्तर प्रदेश के सीतापुर जिले में हुआ था, एक कुशल प्रशासक और वित्त विशेषज्ञ थे। उन्होंने शेरशाह सूरी के शासनकाल में भी अपनी सेवाएं दी थीं और उनकी प्रशासनिक नीतियों का अच्छा अनुभव था।
नियुक्ति का कारण: अकबर, साम्राज्य को सुव्यवस्थित करने और राजस्व प्रणाली को बेहतर बनाने के लिए एक सक्षम दीवान की तलाश में थे। टोडरमल की योग्यता और अनुभव को देखते हुए, अकबर ने उन्हें यह महत्वपूर्ण पद सौंपा।
योगदान: टोडरमल ने दीवान के रूप में कई महत्वपूर्ण सुधार किए:
दहसाला प्रणाली: उन्होंने दहसाला प्रणाली शुरू की, जो भूमि की पैमाइश और उपज के आधार पर कर निर्धारण की एक मानकीकृत प्रणाली थी। इससे राजस्व संग्रह में पारदर्शिता और दक्षता आई।
भूमि का वर्गीकरण: उन्होंने भूमि को उसकी उर्वरता के आधार पर वर्गीकृत किया, जिससे किसानों पर कर का बोझ कम हुआ।
भू-राजस्व रिकॉर्ड: उन्होंने भू-राजस्व रिकॉर्ड को व्यवस्थित किया, जिससे भूमि संबंधी विवादों को कम करने में मदद मिली।
महत्व: टोडरमल के सुधारों ने मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत किया और किसानों को राहत प्रदान की। उनकी नीतियों को बाद में ब्रिटिश शासन द्वारा भी अपनाया गया।
टोडरमल केवल एक दीवान ही नहीं थे, बल्कि वे अकबर के नवरत्नों में से एक थे, जो उनकी बुद्धिमत्ता और प्रशासनिक क्षमताओं का प्रतीक था। उनकी नियुक्ति मुगल साम्राज्य के इतिहास में एक मील का पत्थर साबित हुई।
Answered :- 2022-12-12 08:21:12
Academy