अकबर ने भूमि की पैमाइश हेतु सिकन्दरी गज के स्थान पर इलाही गज 1586 ई० में प्रचलित किया था।
अकबर ने 1586 ई० में भूमि की पैमाइश में एकरूपता लाने और प्रशासनिक सुधारों को आगे बढ़ाने के उद्देश्य से सिकन्दरी गज के स्थान पर इलाही गज को लागू किया। यह निर्णय मुगल साम्राज्य में भूमि राजस्व प्रणाली को सुव्यवस्थित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था।
यहाँ कुछ अतिरिक्त विवरण दिए गए हैं:
सिकन्दरी गज: यह गज सिकंदर लोदी के शासनकाल में शुरू किया गया था और मुगल काल की शुरुआत में भी उपयोग में था। इसकी लंबाई लगभग 41 इंच थी।
इलाही गज: इलाही गज को अकबर ने जारी किया था, और इसकी लंबाई सिकन्दरी गज से थोड़ी बड़ी, लगभग 41 से 42 इंच थी। इसका उद्देश्य मापन में अधिक सटीकता लाना था।
प्रयोजन: भूमि की पैमाइश के लिए एक मानक इकाई स्थापित करने से भूमि कर का आकलन करना और एकत्र करना आसान हो गया। इससे किसानों और राज्य के बीच विवादों को कम करने में भी मदद मिली।
टोडर मल का योगदान: अकबर के राजस्व मंत्री टोडर मल ने भूमि सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इलाही गज को लागू करने का निर्णय उनकी राजस्व नीतियों का एक हिस्सा था।
परिणाम: इलाही गज के प्रयोग से भूमि अभिलेखों में एकरूपता आई और मुगल प्रशासन को भूमि राजस्व का प्रबंधन करने में अधिक कुशलता मिली। यह गज बाद में मुगल साम्राज्य में भूमि माप की मानक इकाई बन गई।
संक्षेप में, इलाही गज की शुरुआत अकबर के शासनकाल में भूमि प्रशासन में सुधार और राजस्व संग्रह को सुव्यवस्थित करने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम था।
Answered :- 2022-12-12 08:13:00
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