अकबर की चित्तौड़ विजय 1568 ईसवी में हुई थी। यह विजय मुगल साम्राज्य के विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। मेवाड़ के राणा उदय सिंह के शासनकाल में, अकबर ने चित्तौड़ के किले को घेर लिया, जो राजपूत वीरता और प्रतिरोध का प्रतीक था। कई महीनों तक चले घेराबंदी के बाद, राजपूत योद्धाओं ने किले की रक्षा में अद्भुत साहस दिखाया, लेकिन अंततः मुगल सेना ने किले पर कब्जा कर लिया। इस युद्ध में राजपूत सेनापति जयमल और पत्ता की वीरता विशेष रूप से उल्लेखनीय है, जिन्होंने किले की रक्षा करते हुए अपने प्राण न्योछावर कर दिए। अकबर ने उनकी वीरता से प्रभावित होकर उनकी मूर्तियाँ आगरा के किले में लगवाईं। चित्तौड़ विजय के बाद, मेवाड़ मुगलों के आंशिक नियंत्रण में आ गया, लेकिन राणा उदय सिंह ने स्वतंत्रता के लिए अपना संघर्ष जारी रखा। इस विजय ने अकबर को राजपूतों के खिलाफ अपनी शक्ति स्थापित करने में मदद की, लेकिन मेवाड़ की स्वतंत्रता का संघर्ष कई वर्षों तक चलता रहा।

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