अलाउद्दीन खिलजी का पहला सैन्य अभियान 1299 ई. में गुजरात के बघेल शासक राय कर्णदेव के खिलाफ था।

अभियान का कारण:

कुछ इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी की गुजरात पर आक्रमण करने की वजह यह थी कि गुजरात के शासक राय कर्णदेव ने अलाउद्दीन के प्रतिनिधि की पत्नी को बलपूर्वक छीन लिया था। हालांकि, कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि अलाउद्दीन खिलजी गुजरात की समृद्धि से आकर्षित था और वह इस क्षेत्र को अपने साम्राज्य में मिलाना चाहता था।

अभियान का घटनाक्रम:

अलाउद्दीन खिलजी ने अपने दो जनरलों, उलुग खान और नुसरत खान, को गुजरात के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने के लिए भेजा। खिलजी की सेना ने राय कर्णदेव को पराजित किया और अन्हिलवाड़ा पर कब्जा कर लिया। राय कर्णदेव अपनी जान बचाकर भाग गए और देवगिरि के यादव राजा रामचंद्र देव के यहां शरण ली।

अभियान के परिणाम:

इस अभियान में अलाउद्दीन खिलजी को अपार धन-संपदा प्राप्त हुई। उसने सोमनाथ मंदिर को भी लूटा और वहाँ स्थापित शिवलिंग को खंडित किया। इस विजय के बाद गुजरात को दिल्ली सल्तनत में शामिल कर लिया गया।

महत्व:

यह अभियान अलाउद्दीन खिलजी के साम्राज्य विस्तार की शुरुआत थी। इस अभियान की सफलता ने उसे और अधिक महत्वाकांक्षी बना दिया और उसने अपने साम्राज्य का विस्तार करने के लिए कई अन्य सैन्य अभियान चलाए।


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