अनेकांतवाद जैन दर्शन का सिद्धांत है। इसका अभिप्राय यह है कि संसार की प्रत्येक वस्तु विरुद्ध प्रतीत होने वाले अनंत कर्मों के भिन्न-भिन्न आशय हैं। वस्तु के संबंध में विभिन्न दर्शनों की जो विभिन्न मान्यताएँ हैं, अपेक्षाभेद एवं दृष्टिभेद से वे सब सत्य हैं।
Answered :- 2023-09-09 19:18:05
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