अकबर को पहली बार नौ वर्ष की अवस्था में गजनी की सूबेदारी मिली थी। यह घटना 1551 में घटी, जब हुमायूँ ने अपने पुत्र अकबर को गजनी का राज्यपाल नियुक्त किया। इतनी कम उम्र में यह पद मिलना प्रतीकात्मक अधिक था और वास्तविक शासन उनके संरक्षक मुनीम खान द्वारा चलाया गया था। हालांकि, यह नियुक्ति अकबर के राजनीतिक जीवन की शुरुआत का प्रतीक थी। इसने उन्हें प्रशासनिक अनुभव प्राप्त करने और मुगल साम्राज्य के भीतर एक महत्वपूर्ण स्थान हासिल करने का अवसर दिया। गजनी, जो उस समय एक महत्वपूर्ण सीमावर्ती क्षेत्र था, अकबर को युद्ध और प्रशासन की शुरुआती समझ प्रदान करता है। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि उस समय मुगल साम्राज्य अस्थिर दौर से गुजर रहा था। हुमायूँ को शेरशाह सूरी से हारने के बाद कई वर्षों तक निर्वासन में रहना पड़ा था। अकबर की नियुक्ति हुमायूँ की अपने साम्राज्य पर फिर से नियंत्रण स्थापित करने और अपने उत्तराधिकारी को तैयार करने की रणनीति का हिस्सा थी।

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