बिंदुसार, चन्द्रगुप्त मौर्य के पुत्र, 298 ईसा पूर्व में मौर्य साम्राज्य की गद्दी पर विराजमान हुए। यह चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल के अंत और जैन धर्म के प्रभाव में आने के बाद हुआ। बिंदुसार का शासनकाल लगभग 25 वर्षों तक चला और इसे मौर्य साम्राज्य के विस्तार और सुदृढ़ीकरण के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। बिंदुसार को 'अमित्रघात' (शत्रुओं का नाश करने वाला) के नाम से भी जाना जाता है। उन्होंने दक्षिण भारत में मौर्य साम्राज्य का विस्तार किया और कई नए क्षेत्रों को अपने अधीन किया। ऐतिहासिक स्रोतों के अनुसार, उन्होंने तक्षशिला में हुए विद्रोह को सफलतापूर्वक दबा दिया था। बिंदुसार के दरबार में सीरिया के राजा एंटियोकस प्रथम ने डाइमेकस नामक एक राजदूत भेजा था। बिंदुसार ने एंटियोकस से मीठी मदिरा, सूखे अंजीर और एक दार्शनिक भेजने का अनुरोध किया था। हालांकि बिंदुसार के बारे में चन्द्रगुप्त मौर्य की तुलना में कम जानकारी उपलब्ध है, लेकिन यह स्पष्ट है कि उन्होंने अपने पिता द्वारा स्थापित साम्राज्य को कुशलतापूर्वक संभाला और उसे आगे बढ़ाया। उनके शासनकाल में मौर्य साम्राज्य की शक्ति और प्रतिष्ठा बनी रही।

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