चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने पुत्र समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद संन्यास ग्रहण कर लिया था। यह घटना गुप्त साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ थी।
समुद्रगुप्त का चयन: चन्द्रगुप्त प्रथम ने समुद्रगुप्त को अपने अन्य पुत्रों की अपेक्षा अधिक योग्य और सक्षम पाया था। समुद्रगुप्त की सैन्य क्षमता, कूटनीतिक कौशल और नेतृत्व गुणों ने चन्द्रगुप्त प्रथम को प्रभावित किया था।
राज्याभिषेक का समारोह: समुद्रगुप्त को उत्तराधिकारी घोषित करने के बाद, एक भव्य समारोह आयोजित किया गया था जिसमें साम्राज्य के महत्वपूर्ण अधिकारियों, सामंतों और नागरिकों को आमंत्रित किया गया था। इस समारोह में चन्द्रगुप्त प्रथम ने औपचारिक रूप से समुद्रगुप्त को अपना उत्तराधिकारी घोषित किया और उसे राजसी अधिकार सौंपे।
संन्यास का कारण: चन्द्रगुप्त प्रथम के संन्यास लेने के कारणों के बारे में इतिहासकारों में मतभेद है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि उन्होंने बढ़ती उम्र और शारीरिक अक्षमता के कारण संन्यास लिया। वहीं, कुछ अन्य इतिहासकारों का मानना है कि उन्होंने साम्राज्य को एक मजबूत उत्तराधिकारी सौंपने के बाद आध्यात्मिक जीवन जीने की इच्छा से संन्यास लिया।
गुप्त साम्राज्य पर प्रभाव: समुद्रगुप्त के उत्तराधिकारी बनने के बाद, गुप्त साम्राज्य ने अपने स्वर्ण युग में प्रवेश किया। समुद्रगुप्त एक महान योद्धा और कुशल शासक साबित हुए जिन्होंने अपने साम्राज्य का विस्तार किया और उसे समृद्धि के शिखर पर पहुंचाया।
संक्षेप में, चन्द्रगुप्त प्रथम द्वारा समुद्रगुप्त को उत्तराधिकारी बनाना और फिर संन्यास लेना, गुप्त साम्राज्य के इतिहास में एक निर्णायक घटना थी जिसने साम्राज्य के भविष्य को आकार दिया।
Answered :- 2022-12-11 18:15:29
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