चन्द्रगुप्त प्रथम की पत्नी कुमार देवी का सम्बन्ध प्रसिद्ध लिच्छवि कुल से था, जो उस समय के सबसे प्रतिष्ठित और शक्तिशाली गणराज्यों में से एक था। यह गणराज्य उत्तरी बिहार में स्थित था और अपनी राजनीतिक और सामाजिक प्रतिष्ठा के लिए जाना जाता था। कुमार देवी के लिच्छवि कुल से होने का चन्द्रगुप्त प्रथम के लिए बहुत महत्व था। इस विवाह ने गुप्त साम्राज्य की शक्ति और प्रतिष्ठा को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। लिच्छवि कुल के समर्थन से चन्द्रगुप्त प्रथम को अपने राज्य का विस्तार करने और अपनी स्थिति को मजबूत करने में मदद मिली। इस विवाह का महत्व इस बात से भी पता चलता है कि चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने सिक्कों पर कुमार देवी का नाम अंकित करवाया था, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वह न केवल उनकी पत्नी थीं, बल्कि राज्य के प्रशासन और शक्ति में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थीं। इन सिक्कों पर "कुमारदेवी-चंद्रगुप्त" का उल्लेख मिलता है, जो इस विवाह के राजनीतिक महत्व को दर्शाता है। लिच्छवि कुल के साथ संबंध स्थापित होने से गुप्त साम्राज्य को राजनीतिक, आर्थिक और सामाजिक रूप से लाभ हुआ। यह संबंध गुप्त साम्राज्य के उदय और विस्तार में एक महत्वपूर्ण कारक साबित हुआ।

चन्द्रगुप्त प्रथम ने किसको अपना उत्तराधिकारी बनाने के बाद संन्यास ग्रहण कर लिया था?

चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस के बीच युद्ध कब हुआ था?

चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस के बीच हुए युद्ध में किसकी पराजय हुई थी?

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