चन्द्रगुप्त मौर्य को जैन और बौद्ध साहित्य में क्षत्रिय कुल का माना जाता है, लेकिन इस विषय पर इतिहासकारों के बीच थोड़ा मतभेद है। जैन साहित्य: जैन ग्रंथ, विशेष रूप से भद्रबाहु के कल्पसूत्र और हेमचंद्र के परिशिष्टपर्वन में, चन्द्रगुप्त मौर्य को मयूरपोषकों के मुखिया की बेटी से उत्पन्न बताया गया है, जिससे उन्हें क्षत्रिय माना जाता है। इन ग्रंथों में मौर्यों को एक विशिष्ट क्षत्रिय वंश के रूप में प्रस्तुत किया गया है। बौद्ध साहित्य: बौद्ध ग्रंथ, जैसे महावंश और दिव्यावदान, चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय बताते हैं, लेकिन वे उनके जन्म और वंश के बारे में अलग-अलग विवरण देते हैं। कुछ बौद्ध ग्रंथों के अनुसार, वे पिप्पलिवन के मौर्य नामक क्षत्रिय कुल से संबंधित थे। अन्य मत: हालांकि जैन और बौद्ध साहित्य चन्द्रगुप्त मौर्य को क्षत्रिय मानते हैं, कुछ ब्राह्मणवादी ग्रंथ उन्हें निम्न कुल का बताते हैं। उदाहरण के लिए, विष्णु पुराण उन्हें शूद्र मानते हैं। हालांकि, इन दावों को आमतौर पर बाद के लेखन माना जाता है और इन्हें राजनीतिक उद्देश्यों से प्रेरित माना जाता है। निष्कर्ष: चंद्रगुप्त मौर्य के कुल को लेकर विभिन्न मतभेद हैं, लेकिन जैन और बौद्ध साहित्य में उन्हें आमतौर पर क्षत्रिय माना जाता है। इन स्रोतों में मौर्य वंश की उत्पत्ति और सामाजिक स्थिति के बारे में जानकारी मिलती है, जो प्राचीन भारतीय इतिहास के अध्ययन के लिए महत्वपूर्ण हैं। इतिहासकारों का मानना है कि जैन और बौद्ध साहित्य में दिए गए विवरण अधिक विश्वसनीय हो सकते हैं, क्योंकि ये ग्रंथ मौर्य साम्राज्य के समय के करीब लिखे गए थे।

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चन्द्रगुप्त मौर्य तथा सेल्यूकस के बीच संधि कब हुई थी?

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चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश की स्थापना कब की थी?

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