गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक चन्द्रगुप्त प्रथम को माना जाता है। उन्हें यह उपाधि इसलिए दी जाती है क्योंकि उन्होंने न केवल गुप्त साम्राज्य की नींव को मजबूत किया, बल्कि उसे वास्तविक राजनीतिक शक्ति और प्रतिष्ठा भी प्रदान की। श्रीगुप्त को गुप्त वंश का संस्थापक माना जाता है, लेकिन वे एक स्वतंत्र शासक के रूप में स्थापित नहीं हो पाए थे। घटोत्कच भी उनके उत्तराधिकारी थे, लेकिन उन्होंने भी साम्राज्य विस्तार में कोई महत्वपूर्ण भूमिका नहीं निभाई।
चन्द्रगुप्त प्रथम ने 319 ईस्वी में सत्ता संभाली और 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की, जो उनकी बढ़ती शक्ति और प्रभुत्व का प्रतीक थी। उन्होंने लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया, जिससे उन्हें राजनीतिक और सामाजिक समर्थन मिला। इस विवाह ने गुप्त वंश को शक्तिशाली लिच्छवि वंश के साथ जोड़ा, जिससे उनकी स्थिति और मजबूत हुई।
चन्द्रगुप्त प्रथम ने अपने राज्य का विस्तार किया और एक मजबूत प्रशासनिक व्यवस्था स्थापित की। उन्होंने संभवतः बिहार और उत्तर प्रदेश के कुछ हिस्सों पर अपना नियंत्रण स्थापित किया। उन्होंने सोने के सिक्के भी जारी किए, जो उनकी समृद्धि और आर्थिक शक्ति का प्रतीक थे। इन सिक्कों पर चन्द्रगुप्त प्रथम और उनकी पत्नी कुमारदेवी की छवियां अंकित हैं, जो उनके शासनकाल की महत्वपूर्ण घटनाओं को दर्शाती हैं।
संक्षेप में, चन्द्रगुप्त प्रथम ने गुप्त वंश को एक क्षेत्रीय शक्ति से एक साम्राज्य में बदलने का कार्य किया, इसलिए उन्हें गुप्त वंश का वास्तविक संस्थापक माना जाता है।
Answered :- 2022-12-09 15:30:52
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