प्रभावती गुप्त, गुप्त वंश के शासक चन्द्रगुप्त द्वितीय और कुबेरनागा की पुत्री थीं। उनका विवाह वाकाटक वंश के शासक रुद्रसेन द्वितीय के साथ हुआ था। यह विवाह गुप्त और वाकाटक वंशों के बीच एक महत्वपूर्ण राजनीतिक गठबंधन था, जिसने गुप्त साम्राज्य को दक्कन क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद की। रुद्रसेन द्वितीय की अल्पायु में मृत्यु के बाद, प्रभावती गुप्त ने अपने छोटे पुत्रों, दिवाकरसेन और दामोदरसेन की संरक्षिका के रूप में वाकाटक साम्राज्य पर शासन किया। उनके शासनकाल के दौरान जारी किए गए अभिलेखों से पता चलता है कि उन्होंने प्रभावी ढंग से शासन किया और गुप्त साम्राज्य के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखे। उनके शिलालेखों में उनके पिता, चन्द्रगुप्त द्वितीय का उल्लेख "परम-भागवत" के रूप में किया गया है, जिससे उनकी वैष्णव धर्म के प्रति निष्ठा का पता चलता है। प्रभावती गुप्त का जीवन और शासनकाल गुप्त और वाकाटक वंशों के इतिहास में महत्वपूर्ण स्थान रखता है, जो उस युग में महिलाओं की राजनीतिक भूमिका और प्रभाव को दर्शाता है।

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