अकबर के पहले दीवान, मुजफ्फर खाँ तुरबती थे। उन्हें 1560 में बैरम खान के पतन के बाद इस पद पर नियुक्त किया गया था। तुरबती पृष्ठभूमि: मुजफ्फर खाँ तुरबती, तुरबत नामक क्षेत्र से ताल्लुक रखते थे, जो आधुनिक ईरान और तुर्कमेनिस्तान के बॉर्डर पर स्थित है। यह क्षेत्र फारसी संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र था। बैरम खान के बाद नियुक्ति: बैरम खान, अकबर के संरक्षक और शुरुआती रीजेंट थे। उनके पतन के बाद, अकबर ने साम्राज्य में स्थिरता लाने और विभिन्न गुटों को संतुलित करने के लिए मुजफ्फर खाँ को दीवान नियुक्त किया। वित्तीय मामलों में योगदान: मुजफ्फर खाँ ने मुगल साम्राज्य की वित्तीय व्यवस्था में सुधार के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। हालांकि उनका कार्यकाल अपेक्षाकृत कम रहा, लेकिन उन्होंने प्रशासन को सुव्यवस्थित करने का प्रयास किया। अल्पकालिक कार्यकाल: मुजफ्फर खाँ का दीवान के रूप में कार्यकाल बहुत लंबा नहीं था। उन्हें जल्द ही पद से हटा दिया गया, लेकिन उनकी नियुक्ति अकबर के शुरुआती शासनकाल के दौरान एक महत्वपूर्ण घटना थी। बाद का जीवन: दीवान के पद से हटने के बाद मुजफ्फर खाँ के जीवन के बारे में अधिक जानकारी उपलब्ध नहीं है, लेकिन उनका नाम अकबर के प्रारंभिक शासनकाल के महत्वपूर्ण अधिकारियों में गिना जाता है।

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