पुरुगुप्त (श्री विक्रम) गुप्त वंश के एक अपेक्षाकृत कम ज्ञात शासक थे, जिनका शासनकाल इतिहासकारों के बीच विवादित है। हालांकि आपका उत्तर 468 ईसवी से 469 ईसवी का उल्लेख करता है, यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि इस अवधि को लेकर निश्चितता नहीं है।
विवादित शासनकाल: पुरुगुप्त के शासनकाल की अवधि स्पष्ट रूप से स्थापित नहीं है, और विभिन्न इतिहासकारों ने अलग-अलग समयसीमा प्रस्तावित की हैं। कुछ स्रोतों में उनका शासनकाल 467 ईसवी से 473 ईसवी तक माना जाता है।
पिता और उत्तराधिकारी: पुरुगुप्त को कुमारगुप्त प्रथम का पुत्र और स्कंदगुप्त का सौतेला भाई माना जाता है। कुछ इतिहासकारों का मानना है कि स्कंदगुप्त की मृत्यु के बाद वे सिंहासन पर बैठे। उनके उत्तराधिकारी के रूप में कुमारगुप्त द्वितीय का नाम आता है।
अभिलेखीय साक्ष्य: पुरुगुप्त के बारे में जानकारी मुख्य रूप से उनके सिक्कों और कुछ शिलालेखों से मिलती है, जो उनके शासनकाल के बारे में सीमित जानकारी प्रदान करते हैं। नालंदा से प्राप्त एक मुहर से उनके अस्तित्व का पता चलता है।
ऐतिहासिक महत्व: भले ही पुरुगुप्त का शासनकाल छोटा रहा हो, लेकिन उनका अस्तित्व गुप्त वंश के इतिहास में एक महत्वपूर्ण कड़ी है। यह गुप्त साम्राज्य के भीतर उत्तराधिकार और राजनीतिक गतिशीलता पर प्रकाश डालता है।
संक्षेप में, पुरुगुप्त एक अस्पष्ट गुप्त शासक हैं जिनके शासनकाल की सटीक अवधि और प्रभाव को लेकर इतिहासकारों में मतभेद हैं। उपलब्ध साक्ष्य सीमित हैं, लेकिन वे गुप्त वंश के जटिल इतिहास में एक दिलचस्प झलक प्रदान करते हैं।
Answered :- 2022-12-09 15:35:15
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