जैन धर्म का प्रारंभिक इतिहास कल्पसूत्र से ज्ञात होता है, यह बिल्कुल सही है। लेकिन इसे थोड़ा और विस्तार से समझते हैं: कल्पसूत्र: भद्रबाहु द्वारा रचित कल्पसूत्र, जैन धर्म के श्वेतांबर संप्रदाय का एक महत्वपूर्ण ग्रंथ है। यह न केवल जैन धर्म का प्रारंभिक इतिहास बताता है, बल्कि जैन तीर्थंकरों की जीवनी, विशेष रूप से पार्श्वनाथ और महावीर स्वामी के जीवन और उपदेशों का विस्तृत वर्णन भी प्रस्तुत करता है। इसमें जैन भिक्षुओं के लिए नियमों और आचार संहिता का भी उल्लेख है। तीर्थंकरों का जीवन: कल्पसूत्र हमें 24 तीर्थंकरों की परंपरा के बारे में जानकारी देता है, जिसमें उनके जन्म, तपस्या, ज्ञान प्राप्ति और निर्वाण से संबंधित महत्वपूर्ण घटनाएं शामिल हैं। महावीर स्वामी का विशेष महत्व: कल्पसूत्र में महावीर स्वामी के जीवन पर विशेष जोर दिया गया है, क्योंकि वे जैन धर्म के अंतिम तीर्थंकर माने जाते हैं। उनके जीवन की घटनाओं, जैसे कि उनका जन्म, गृह त्याग, 12 वर्षों की कठोर तपस्या, ज्ञान प्राप्ति और उनके उपदेशों का विस्तृत वर्णन मिलता है। जैन संघ की स्थापना: यह ग्रंथ महावीर स्वामी द्वारा स्थापित जैन संघ (भिक्षुओं का समुदाय) के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है, जो जैन धर्म के प्रसार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। ऐतिहासिक संदर्भ: कल्पसूत्र में उल्लिखित कुछ घटनाएं और व्यक्ति ऐतिहासिक रूप से महत्वपूर्ण हैं और उस समय के सामाजिक और राजनीतिक माहौल को समझने में मदद करते हैं। सांस्कृतिक महत्व: कल्पसूत्र न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि यह प्राचीन भारतीय संस्कृति, कला और साहित्य का भी एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

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