अकबर ने तानसेन को रीवां के राजा रामचन्द्र से प्राप्त किया था। यह घटना 1562 ईस्वी में हुई थी। तानसेन, जिनका मूल नाम रामतनु पांडे था, एक असाधारण संगीतज्ञ थे और उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। रीवां के राजा रामचन्द्र, कला और संस्कृति के संरक्षक थे, और उन्होंने तानसेन को अपने दरबार में आश्रय दिया था।
जब अकबर को तानसेन की प्रतिभा के बारे में पता चला, तो उन्होंने जलालुद्दीन कुरैशी नामक एक दूत को राजा रामचन्द्र के पास भेजा और तानसेन को अपने दरबार में भेजने का आग्रह किया। राजा रामचन्द्र, अकबर के प्रस्ताव को ठुकरा नहीं सके, क्योंकि वे मुगल साम्राज्य की ताकत से परिचित थे। उन्होंने सम्मानपूर्वक तानसेन को अकबर के दरबार में भेज दिया।
अकबर ने तानसेन का भव्य स्वागत किया और उन्हें अपने नवरत्नों (नौ रत्नों) में से एक बनाया। तानसेन ने मुगल दरबार में अपनी संगीत प्रतिभा का प्रदर्शन किया और जल्द ही अकबर के पसंदीदा बन गए। उन्होंने कई नए रागों की रचना की और भारतीय शास्त्रीय संगीत को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाया। तानसेन की संगीत प्रतिभा ने मुगल साम्राज्य को सांस्कृतिक रूप से समृद्ध बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनकी रचनाएँ आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत के अभिन्न अंग हैं।
Answered :- 2022-12-12 08:13:00
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