अकबर के दरबार में महान संगीतज्ञ तानसेन रहते थे, जो उस समय के सबसे प्रतिष्ठित संगीतकारों में से एक थे। तानसेन का असली नाम रामतनु पांडे था और वे ग्वालियर के रहने वाले थे। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा स्वामी हरिदास से प्राप्त की थी, जो वृंदावन के एक प्रसिद्ध संत और संगीतकार थे।
तानसेन की प्रतिभा इतनी असाधारण थी कि उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैली हुई थी। अकबर ने उनकी प्रतिभा के बारे में सुनकर उन्हें अपने दरबार में आमंत्रित किया और उन्हें अपने नवरत्नों में शामिल किया। तानसेन ने अकबर के दरबार में रहकर कई रागों और धुनों की रचना की, जो आज भी भारतीय शास्त्रीय संगीत का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं।
कहा जाता है कि तानसेन की संगीत में इतनी शक्ति थी कि वे राग दीपक गाकर दीपक जला सकते थे और राग मेघ मल्हार गाकर वर्षा करवा सकते थे। उनकी रचनाओं में ध्रुपद शैली का विशेष प्रभाव दिखता है। तानसेन की कुछ प्रसिद्ध रचनाओं में 'मियाँ की तोड़ी', 'मियाँ की मल्हार' और 'दरबारी कान्हड़ा' शामिल हैं।
तानसेन न केवल एक महान संगीतकार थे, बल्कि एक उत्कृष्ट कवि और संगीत के विद्वान भी थे। उन्होंने संगीत पर कई पुस्तकें भी लिखीं। तानसेन का मकबरा ग्वालियर में स्थित है, जो संगीत प्रेमियों के लिए एक पवित्र स्थल है। हर साल यहाँ तानसेन संगीत समारोह का आयोजन किया जाता है, जिसमें देश-विदेश के कलाकार भाग लेते हैं और अपनी कला का प्रदर्शन करते हैं।
Answered :- 2022-12-12 07:52:34
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