आर्यभट्ट गुप्तकाल के सबसे महान गणितज्ञों में से एक थे। उनका जन्म 476 ईस्वी में हुआ था और उनका कार्यक्षेत्र खगोल विज्ञान और गणित था। उन्हें शून्य (zero) की अवधारणा के साथ-साथ दशमलव प्रणाली (decimal system) के विकास में महत्वपूर्ण योगदान के लिए जाना जाता है।
उनकी सबसे प्रसिद्ध रचना 'आर्यभटीय' है, जो गणित और खगोल विज्ञान का एक संकलन है। इसमें अंकगणित, बीजगणित, त्रिकोणमिति और गोलीय त्रिकोणमिति के सूत्र शामिल हैं। आर्यभट्ट ने पाई (π) का मान भी दशमलव के चार अंकों तक सटीक रूप से निकाला था।
उन्होंने यह भी बताया कि पृथ्वी अपनी धुरी पर घूमती है और सूर्य स्थिर है, जो उस समय की प्रचलित धारणा के विपरीत था। उन्होंने ग्रहणों के वैज्ञानिक कारणों की भी व्याख्या की।
आर्यभट्ट का योगदान भारतीय गणित और खगोल विज्ञान के लिए एक मील का पत्थर था, और उनके विचारों ने बाद के वैज्ञानिकों को बहुत प्रभावित किया।
Answered :- 2022-12-09 15:52:57
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