गुप्त वंश के शासक चन्द्रगुप्त प्रथम का शासनकाल 319 ईसवी से 335 ईस्वी तक माना जाता है। उन्होंने 'महाराजाधिराज' की उपाधि धारण की थी, जो गुप्त वंश की शक्ति और प्रतिष्ठा का प्रतीक थी। उनके शासनकाल से ही गुप्त संवत की शुरुआत मानी जाती है, जिसका उपयोग गुप्त शासकों ने अपने अभिलेखों और दस्तावेजों में किया।
चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवि राजकुमारी कुमारदेवी से विवाह किया, जो राजनीतिक रूप से महत्वपूर्ण था क्योंकि लिच्छवि गणराज्य उस समय एक शक्तिशाली राज्य था। इस विवाह से गुप्त वंश को अपनी शक्ति और प्रभाव बढ़ाने में मदद मिली। इतिहासकारों का मानना है कि इस गठबंधन ने चन्द्रगुप्त प्रथम को मगध और उसके आसपास के क्षेत्रों पर नियंत्रण स्थापित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
चन्द्रगुप्त प्रथम के शासनकाल में गुप्त साम्राज्य की नींव मजबूत हुई, और उन्होंने अपने पुत्र समुद्रगुप्त के लिए एक विस्तृत और शक्तिशाली साम्राज्य छोड़ा, जिसने आगे चलकर गुप्त साम्राज्य को अपनी चरम सीमा तक पहुंचाया।
Answered :- 2022-12-09 15:35:15
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