गुप्त वंश के शासक स्कन्दगुप्त (विक्रमादित्य) का शासनकाल 455 ईसवी से 468 ईसवी तक माना जाता है। यह काल गुप्त साम्राज्य के लिए महत्वपूर्ण था क्योंकि स्कन्दगुप्त को हूणों के आक्रमण का सामना करना पड़ा था, जिनसे उसने सफलतापूर्वक साम्राज्य की रक्षा की। हूणों का आक्रमण: स्कन्दगुप्त के शासनकाल की सबसे महत्वपूर्ण घटना हूणों का आक्रमण था। ये मध्य एशियाई खानाबदोश जनजाति थी, जिसने गुप्त साम्राज्य पर हमला किया। स्कन्दगुप्त ने वीरतापूर्वक उनका सामना किया और उन्हें पराजित करके साम्राज्य को बचाया। इस युद्ध का उल्लेख भितरी स्तंभ शिलालेख में मिलता है। भितरी स्तंभ शिलालेख: यह शिलालेख स्कन्दगुप्त के शासनकाल के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करता है। यह बताता है कि कैसे उसने हूणों को हराया और अपने साम्राज्य को स्थिर रखा। सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार: स्कन्दगुप्त ने सुदर्शन झील का जीर्णोद्धार भी करवाया था, जिसका निर्माण मौर्य काल में हुआ था। यह झील सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण थी और इसके जीर्णोद्धार से किसानों को लाभ हुआ। शासन व्यवस्था: स्कन्दगुप्त ने अपने साम्राज्य में सुशासन बनाए रखा। उसने प्रजा की भलाई के लिए कई कार्य किए। उसके शासनकाल में शांति और समृद्धि बनी रही। उत्तराधिकार: स्कन्दगुप्त के उत्तराधिकारी कमजोर थे, जिसके कारण गुप्त साम्राज्य धीरे-धीरे कमजोर होता गया। संक्षेप में, स्कन्दगुप्त का शासनकाल गुप्त साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण अध्याय है। उसने हूणों के आक्रमण से साम्राज्य की रक्षा की और सुशासन बनाए रखा।

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