चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस निकेटर को 500 हाथी उपहार स्वरूप दिए थे। यह जानकारी प्लूटार्क नामक यूनानी इतिहासकार के लेखों में मिलती है। इस घटना का ऐतिहासिक महत्व यह है कि यह चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस निकेटर के बीच हुई संधि का हिस्सा थी। 305 ईसा पूर्व में, सेल्यूकस ने भारत पर आक्रमण किया था, लेकिन उसे चन्द्रगुप्त मौर्य के हाथों पराजय का सामना करना पड़ा। इसके बाद दोनों शासकों के बीच एक संधि हुई, जिसके तहत सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त को सिंधु नदी के पश्चिम के क्षेत्र (वर्तमान अफगानिस्तान और पाकिस्तान का कुछ हिस्सा) सौंप दिए। बदले में, चन्द्रगुप्त ने सेल्यूकस को 500 युद्ध हाथी उपहार में दिए। हाथियों का उपहार सेल्यूकस के लिए बहुत महत्वपूर्ण था, क्योंकि उस समय हाथी युद्ध में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे। सेल्यूकस ने इन हाथियों का उपयोग बाद में पश्चिमी देशों में अपनी सैन्य शक्ति बढ़ाने के लिए किया। यह घटना भारत और यूनानी दुनिया के बीच संबंधों का एक महत्वपूर्ण उदाहरण है और यह दर्शाती है कि उस समय व्यापार और कूटनीति के माध्यम से दोनों संस्कृतियां एक दूसरे से जुड़ी हुई थीं। इस संधि के परिणामस्वरूप मौर्य साम्राज्य का विस्तार हुआ और भारत में राजनीतिक स्थिरता आई। इसके साथ ही, यह घटना चन्द्रगुप्त मौर्य की सैन्य शक्ति और कूटनीतिक कौशल का भी प्रमाण है।

चन्द्रगुप्त प्रथम किस वंश का राजा था?

चन्द्रगुप्त प्रथम की पत्नी का क्या नाम था?

चन्द्रगुप्त प्रथम की पत्नी कुमार देवी का सम्बन्ध किस प्रसिद्ध कुल से था?

चन्द्रगुप्त प्रथम ने किसको अपना उत्तराधिकारी बनाने के बाद संन्यास ग्रहण कर लिया था?

चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस के बीच युद्ध कब हुआ था?

चन्द्रगुप्त मौर्य एवं सेल्यूकस के बीच हुए युद्ध में किसकी पराजय हुई थी?

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