जैन धर्म के तीसरे तीर्थंकर, संभवनाथ, का प्रतीक चिन्ह घोड़ा था। यह घोड़ा शक्ति, गति और ऊर्जा का प्रतीक है। संभवनाथ का जीवन आत्म-अनुशासन, त्याग और करुणा का एक उदाहरण है।
संभवनाथ का जन्म: संभवनाथ का जन्म श्रावस्ती में राजा जितारी और रानी सेनादेवी के यहाँ हुआ था।
संभवनाथ का जीवनकाल: जैन ग्रंथों के अनुसार, उन्होंने लंबी आयु प्राप्त की और गहन तपस्या के बाद कैवल्य ज्ञान प्राप्त किया।
उनके उपदेश: उन्होंने अहिंसा, सत्य, अस्तेय (चोरी न करना), ब्रह्मचर्य और अपरिग्रह (गैर-आसक्ति) के जैन सिद्धांतों का प्रचार किया।
महत्व: संभवनाथ का प्रतीक चिन्ह, घोड़ा, जैन धर्म में महत्वपूर्ण है और उनकी शिक्षाओं और आदर्शों को याद दिलाता है। घोड़ा एक ऐसा जानवर है जो बाधाओं को पार करने और अपने लक्ष्य की ओर बढ़ने की प्रेरणा देता है, जो संभवनाथ के जीवन और शिक्षाओं का सार है।
इस प्रकार, संभवनाथ, जिनका प्रतीक चिन्ह घोड़ा है, जैन धर्म में एक महत्वपूर्ण व्यक्ति हैं।
Answered :- 2022-12-09 07:14:18
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