द्वितीय विश्व युद्ध में इटली ने जर्मनी की ओर से 10 जून, 1940 को प्रवेश किया। यह निर्णय इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी ने लिया था, जो एक्सिस शक्तियों की जीत की संभावनाओं को देख रहा था और चाहता था कि इटली भी जीत का हिस्सा बने। हालांकि, इटली की सैन्य तैयारी पूरी नहीं थी और उसकी अर्थव्यवस्था भी युद्ध का भार उठाने के लिए संघर्ष कर रही थी। मुसोलिनी का मानना था कि फ्रांस जल्द ही हार जाएगा और इटली को थोड़ा सा प्रयास करके ही अल्पाइन क्षेत्रों, कोर्सिका और उत्तरी अफ्रीकी उपनिवेशों में विस्तार करने का अवसर मिलेगा। इटली के युद्ध में प्रवेश करने के तुरंत बाद, उसने फ्रांस पर हमला कर दिया, लेकिन उसे ज्यादा सफलता नहीं मिली। इसके बाद, इटली ने उत्तरी अफ्रीका और बाल्कन में भी सैन्य अभियान शुरू किए, लेकिन यहां भी उसे मित्र राष्ट्रों से कड़ी टक्कर मिली और उसे जर्मनी पर निर्भर रहना पड़ा। इटली की सैन्य अक्षमता और संसाधनों की कमी ने एक्सिस शक्तियों के लिए एक बोझ साबित किया और अंततः द्वितीय विश्व युद्ध में उनकी हार का एक कारण बना।

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