इटली मित्र राष्ट्रों की ओर से प्रथम विश्व युद्ध में 26 अप्रैल, 1915 ई० को शामिल हुआ था।
हालांकि इटली प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत में, 1914 में, तटस्थ रहा था, वह वास्तव में जर्मनी और ऑस्ट्रिया-हंगरी के साथ त्रिपक्षीय संधि का हिस्सा था। हालांकि, इटली ने इस संधि के तहत युद्ध में प्रवेश करने से इनकार कर दिया, यह दावा करते हुए कि यह रक्षात्मक संधि थी और ऑस्ट्रिया-हंगरी की आक्रामक कार्रवाई ने इसे लागू नहीं किया।
1915 में, इटली ने मित्र राष्ट्रों (फ्रांस, ब्रिटेन और रूस) के साथ गुप्त लंदन की संधि पर हस्ताक्षर किए। इस संधि में, मित्र राष्ट्रों ने युद्ध जीतने पर इटली को क्षेत्रीय रियायतें देने का वादा किया, जिसमें ऑस्ट्रिया-हंगरी से ट्रेंटिनो, दक्षिणी टायरॉल, इस्त्रिया और डालमेशिया के कुछ हिस्से शामिल थे।
इस वादे से प्रेरित होकर, इटली ने 26 अप्रैल, 1915 को ऑस्ट्रिया-हंगरी पर युद्ध की घोषणा की और आधिकारिक तौर पर मित्र राष्ट्रों की ओर से युद्ध में प्रवेश किया। इतालवी मोर्चे पर लड़ाई मुख्य रूप से आल्प्स में लड़ी गई थी और इसमें भारी नुकसान हुआ था। इटली का युद्ध में प्रवेश मित्र राष्ट्रों के लिए एक महत्वपूर्ण बढ़ावा था, हालांकि इतालवी सेना को प्रभावी साबित होने में कठिनाई हुई।
प्रथम विश्व युद्ध में इटली का प्रवेश विभिन्न कारकों से प्रेरित था, जिनमें शामिल हैं:
क्षेत्रीय महत्वाकांक्षाएं: इटली ऑस्ट्रिया-हंगरी से इतालवी भाषी क्षेत्रों को हासिल करना चाहता था।
राष्ट्रवादी भावना: युद्ध ने इटली में राष्ट्रवादी भावना को बढ़ावा दिया, और कई इटालियन एक महान शक्ति के रूप में अपनी जगह का दावा करने के लिए युद्ध में भाग लेने के लिए उत्सुक थे।
आर्थिक विचार: इटली का मानना था कि मित्र राष्ट्रों के साथ गठबंधन से उसे आर्थिक रूप से लाभ होगा।
लंदन की गुप्त संधि: मित्र राष्ट्रों द्वारा क्षेत्रीय रियायतें देने का वादा निर्णायक कारक था, जिसने इटली को युद्ध में प्रवेश करने के लिए प्रेरित किया।
Answered :- 2022-12-11 17:46:05
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