चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में बलाधिकृत नामक पदाधिकारी सैन्य कोष का अधिकारी होता था, यह सही है। इसे और विस्तार से समझने के लिए हम निम्नलिखित बिंदुओं पर ध्यान दे सकते हैं: बलाधिकृत का महत्व: गुप्त साम्राज्य में बलाधिकृत एक महत्वपूर्ण पद था क्योंकि सेना की क्षमता और प्रभावशीलता काफी हद तक सैन्य कोष के उचित प्रबंधन पर निर्भर करती थी। उत्तरदायित्व: बलाधिकृत का मुख्य उत्तरदायित्व सैन्य खर्चों का हिसाब रखना, सैनिकों के वेतन का वितरण करना, और युद्ध सामग्री की खरीद और रखरखाव के लिए धन का प्रबंधन करना था। साम्राज्यिक संरचना: गुप्त साम्राज्य एक सुव्यवस्थित प्रशासनिक संरचना पर आधारित था, और बलाधिकृत जैसे पदों का सृजन साम्राज्य की सैन्य शक्ति को सुदृढ़ करने में सहायक था। स्रोत: प्राचीन भारतीय ग्रंथों और शिलालेखों से गुप्तकालीन प्रशासनिक व्यवस्था और पदाधिकारियों के बारे में जानकारी मिलती है, जिनमें बलाधिकृत का उल्लेख भी शामिल है। अन्य अधिकारी: सैन्य प्रशासन में बलाधिकृत के अलावा अन्य अधिकारी भी होते थे, जैसे कि महादंडनायक (सेनापति) और अन्य सैन्य कमांडर, जो संयुक्त रूप से साम्राज्य की सुरक्षा के लिए जिम्मेदार थे। इस प्रकार, बलाधिकृत चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण सैन्य अधिकारी था जो सैन्य कोष के प्रबंधन और सेना के वित्तीय मामलों की देखरेख करता था।

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