चन्द्रगुप्त द्वितीय का संधि विग्रहिक वीरसेन शैव था, यह सही है। आइये, इस जानकारी को थोड़ा और विस्तार से समझते हैं:
संधि विग्रहिक का अर्थ: संधि विग्रहिक का पद एक महत्वपूर्ण प्रशासनिक पद था जो युद्ध और शांति से संबंधित मामलों को देखता था। यह आधुनिक समय के विदेश मंत्री या रक्षा मंत्री जैसा पद था। संधि विग्रहिक का मुख्य कार्य अन्य राज्यों के साथ संधि करना, युद्ध की घोषणा करना और विदेशी संबंधों को बनाए रखना था।
वीरसेन शैव का व्यक्तित्व: वीरसेन, जैसा कि आपके उत्तर में बताया गया है, शैव धर्म का अनुयायी था। इसका अर्थ है कि वह भगवान शिव की पूजा करता था। वीरसेन एक कुशल प्रशासक और कूटनीतिज्ञ था, जिसने चन्द्रगुप्त द्वितीय की विदेश नीति को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
उदयगिरि शिलालेख: वीरसेन का उल्लेख उदयगिरि शिलालेख में मिलता है। इस शिलालेख के अनुसार, वीरसेन ने दिग्विजय के दौरान चन्द्रगुप्त द्वितीय के साथ यात्रा की थी। इस शिलालेख से पता चलता है कि वीरसेन न केवल एक धार्मिक व्यक्ति था, बल्कि एक साहसी और कुशल योद्धा भी था।
चन्द्रगुप्त द्वितीय के काल में संधि विग्रहिक का महत्व: चन्द्रगुप्त द्वितीय का शासनकाल गुप्त साम्राज्य के स्वर्ण युग के रूप में जाना जाता है। इस दौरान, साम्राज्य ने अपनी सीमाओं का विस्तार किया और कला, साहित्य और विज्ञान के क्षेत्र में उन्नति की। वीरसेन जैसे संधि विग्रहिकों ने इस सफलता में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
संक्षेप में, वीरसेन शैव न केवल चन्द्रगुप्त द्वितीय का संधि विग्रहिक था, बल्कि एक कुशल प्रशासक, कूटनीतिज्ञ और योद्धा भी था, जिसने गुप्त साम्राज्य के विस्तार और समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Answered :- 2022-12-09 16:09:50
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