चन्द्रगुप्त मौर्य और सेल्यूकस निकेटर के बीच संधि 305 ईसा पूर्व में हुई थी, यह भारतीय इतिहास की एक महत्वपूर्ण घटना थी। इस संधि के परिणामस्वरूप मौर्य साम्राज्य को पश्चिमी भारत (आधुनिक पाकिस्तान और अफगानिस्तान के कुछ हिस्से) पर नियंत्रण प्राप्त हुआ। संधि के मुख्य बिंदु और परिणाम: क्षेत्रीय हस्तांतरण: सेल्यूकस ने चन्द्रगुप्त मौर्य को अराकोसिया (कंधार), जेड्रोसिया (मकरान), और परोपमिसादाई (काबुल घाटी) जैसे क्षेत्र सौंप दिए। इन क्षेत्रों का मौर्य साम्राज्य में शामिल होना उसकी शक्ति और विस्तार का प्रतीक था। वैवाहिक संबंध: माना जाता है कि सेल्यूकस ने अपनी पुत्री हेलेना का विवाह चन्द्रगुप्त मौर्य से किया था, हालाँकि इसके ऐतिहासिक प्रमाण कमजोर हैं। वैवाहिक संबंध स्थापित होने से दोनों साम्राज्यों के बीच राजनयिक संबंध मजबूत हुए। हाथियों का उपहार: चन्द्रगुप्त मौर्य ने सेल्यूकस को 500 युद्ध हाथियों का उपहार दिया। इन हाथियों का उपयोग सेल्यूकस ने पश्चिमी देशों के साथ अपने युद्धों में किया, जिससे मौर्य साम्राज्य की सैन्य शक्ति का प्रदर्शन हुआ। राजदूतों का आदान-प्रदान: मेगस्थनीज नामक एक यूनानी राजदूत चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में भेजा गया। मेगस्थनीज ने भारत में कई वर्षों तक रहकर "इंडिका" नामक एक पुस्तक लिखी, जो मौर्यकालीन भारत के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करती है। यह संधि न केवल क्षेत्रीय विस्तार का कारण बनी, बल्कि मौर्य साम्राज्य और यूनानी साम्राज्य के बीच सांस्कृतिक और व्यापारिक संबंधों को भी बढ़ावा दिया। इसने भारत को पश्चिमी दुनिया के करीब लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपनी सैनिक शिक्षा कहां से ग्रहण की थी?

चन्द्रगुप्त मौर्य ने अपने जीवन के अन्तिम समय में किस धर्म को स्वीकार किया था?

चन्द्रगुप्त मौर्य ने मौर्य वंश की स्थापना कब की थी?

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