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पार्श्वनाथ के समय में ही जैन धर्म दिगम्बर एंव श्वेताम्बर सम्प्रदाय में विभक्त हो गया
जैन धर्म के त्रिरत्न हैं - सम्यक ज्ञान, सम्यक चरित्र व सम्यक विश्वास
जैन धर्म को ईश्वर में पूर्ण विश्वास हैं
जैन धर्म में तीर्थंकर को सर्वाधिक महत्व दिया गया हैं
जैन धर्म को अंतिम राजकीय संरक्षण किस वंश के शासकों ने दिया?
जैन धर्म को अंतिम संरक्षण किस वंश के शासकों ने दिया?
जैन धर्म में पुरातन आगम ग्रंथों की कितनी संख्या है?
जैन धर्म में पूर्ण ज्ञान के लिए क्या शब्द है?
जैन धर्म में माटी ज्ञान का क्या अर्थ है?
जैन धर्म में मुख्य रूप से दो तत्व माने गए है | ये दोनों रत्व हैं?
जैन धर्म में शलाका महापुरुषों की संख्याः?
जैन धर्म में सल्लेखना से क्या तात्पर्य है?
जैन धर्म में सृष्टिकर्त्ता ईश्वर का कोई स्थान नहीं है | ये लोग सिद्ध पुरुषों की पूजा करते हैं, जिन्हेंः
जैन धर्म श्वेताम्बर एवं दिगम्बर सम्प्रदायों में कब विभाजित हुआ?