द्वितीय विश्व युद्ध के शुरू होने से पहले, इटली ने 1935-1936 में अबीसीनिया (जिसे अब इथियोपिया के नाम से जाना जाता है) पर आक्रमण करके उसे अपने अधिकार में कर लिया था। यह आक्रमण इटली के तानाशाह बेनिटो मुसोलिनी की विस्तारवादी नीतियों का हिस्सा था, जिसका उद्देश्य एक नया रोमन साम्राज्य स्थापित करना था।
इस आक्रमण के कई महत्वपूर्ण पहलू थे:
मुसोलिनी का उद्देश्य: मुसोलिनी इटली को एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करना चाहता था और अबीसीनिया पर कब्ज़ा करके वह इटली की प्रतिष्ठा और संसाधनों को बढ़ाना चाहता था।
अंतर्राष्ट्रीय प्रतिक्रिया: अबीसीनिया पर इटली के आक्रमण की अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने व्यापक रूप से निंदा की थी। लीग ऑफ नेशंस ने इटली पर आर्थिक प्रतिबंध लगाए, लेकिन ये प्रतिबंध पर्याप्त प्रभावी नहीं थे और इटली का आक्रमण जारी रहा।
अबीसीनिया का प्रतिरोध: अबीसीनिया के सम्राट हेले सेलासी ने इटली के आक्रमण के खिलाफ बहादुरी से लड़ाई लड़ी और लीग ऑफ नेशंस से मदद की गुहार लगाई। हालांकि, अबीसीनिया को इटली की आधुनिक सैन्य शक्ति के सामने हार का सामना करना पड़ा।
युद्ध की शुरुआत: अबीसीनिया पर इटली का आक्रमण द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत के लिए एक महत्वपूर्ण घटना थी। इसने दिखाया कि शक्तिशाली देश छोटे देशों पर आक्रमण करके अंतर्राष्ट्रीय कानूनों का उल्लंघन कर सकते हैं और इसके गंभीर परिणाम हो सकते हैं।
अबीसीनिया पर इटली का कब्ज़ा 1941 तक जारी रहा, जब ब्रिटिश सेनाओं ने अबीसीनिया को इटली के नियंत्रण से मुक्त करा दिया।
Answered :- 2022-12-11 18:19:04
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