चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना के छः अंग थे, और आपका उत्तर सही है। मैं उसमें कुछ अतिरिक्त विवरण जोड़ता हूँ: चन्द्रगुप्त मौर्य की सेना, जो मौर्य साम्राज्य की शक्ति का आधार थी, वास्तव में एक विशाल और सुसंगठित सैन्य बल थी। इसके छह प्रमुख अंग थे, जिनका उल्लेख आपके उत्तर में है, लेकिन उनका विस्तार इस प्रकार है: 1. अश्व सेना (Cavalry): अश्व सेना युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती थी। घुड़सवार सैनिक तीव्र गति से आक्रमण करने और दुश्मन की पंक्तियों को तोड़ने में सक्षम थे। मौर्य सेना में अच्छी नस्ल के घोड़े शामिल थे, और उन्हें कुशल घुड़सवारों द्वारा प्रशिक्षित किया जाता था। 2. हस्तिसेना (Elephantry): हाथियों का उपयोग युद्ध में एक शक्तिशाली हथियार के रूप में किया जाता था। वे दुश्मन के मनोबल को तोड़ने, किलेबंदी को नष्ट करने और पैदल सेना के लिए मार्ग बनाने में उपयोगी थे। मौर्य सेना में बड़ी संख्या में हाथी थे, जिन्हें विशेष रूप से प्रशिक्षित किया जाता था। 3. पैदल सेना (Infantry): पैदल सैनिक सेना का मुख्य भाग थे, जो युद्ध में आमने-सामने की लड़ाई में शामिल होते थे। वे विभिन्न प्रकार के हथियारों से लैस होते थे, जैसे कि तलवार, भाले और धनुष। 4. नौसेना (Navy): मौर्य साम्राज्य में नौसेना का भी महत्व था, खासकर व्यापार और समुद्री मार्गों की सुरक्षा के लिए। नौसेना का उपयोग नदियों और समुद्रों में जहाजों के माध्यम से सैनिकों और सामग्री के परिवहन के लिए भी किया जाता था। हालांकि मौर्यों की नौसेना के बारे में सीमित जानकारी उपलब्ध है, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह एक महत्वपूर्ण अंग था। 5. रथ सेना (Chariotry): रथ सेना में रथों का उपयोग किया जाता था, जो युद्ध में गतिशीलता और मारक क्षमता प्रदान करते थे। रथों पर धनुर्धर और भाला फेंकने वाले सैनिक सवार होते थे, जो दुश्मन पर तीव्र गति से हमला करते थे। 6. सैन्य सहायता विभाग (Logistics and Support): यह विभाग सेना के लिए आवश्यक सामग्री, जैसे कि भोजन, हथियार, और अन्य उपकरणों की आपूर्ति के लिए जिम्मेदार था। इसमें चिकित्सा सेवाएं और युद्ध के दौरान आवश्यक अन्य सहायता भी शामिल थी। मेगास्थनीज, जो चन्द्रगुप्त मौर्य के दरबार में एक यूनानी राजदूत था, ने भी मौर्य सेना के बारे में विस्तृत जानकारी दी है। उसके अनुसार, मौर्य सेना एक विशाल और सुप्रशिक्षित बल थी, जिसमें लाखों सैनिक शामिल थे। सेना का प्रबंधन एक जटिल नौकरशाही द्वारा किया जाता था, जो विभिन्न विभागों में विभाजित थी। इन छह अंगों के संयोजन ने मौर्य सेना को प्राचीन भारत की सबसे शक्तिशाली सेनाओं में से एक बना दिया। इसी सैन्य शक्ति के दम पर चन्द्रगुप्त मौर्य ने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की और उसे सुरक्षित रखा।

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