अकबर द्वारा दीन-ए-इलाही की घोषणा 1582 ईसवी में हुई थी। यह सिर्फ एक नया धर्म नहीं था, बल्कि विभिन्न धर्मों के सर्वोत्तम सिद्धांतों को मिलाकर बनाई गई एक आचार संहिता थी। अकबर, जो धार्मिक सहिष्णुता में विश्वास रखता था, ने महसूस किया कि उसके साम्राज्य में विभिन्न धर्मों के बीच एकता और सद्भाव की आवश्यकता है। इसलिए, उसने दीन-ए-इलाही की स्थापना की, जिसका मूल उद्देश्य सभी धर्मों के मूल तत्वों को एक साथ लाना और एक सार्वभौमिक विश्वास स्थापित करना था। दीन-ए-इलाही में एकेश्वरवाद पर जोर दिया गया था, और इसमें नैतिकता, न्याय और शांति जैसे मूल्यों को शामिल किया गया था। इसमें सूर्य, अग्नि और प्रकाश की पूजा जैसे कुछ रीति-रिवाज भी शामिल थे। हालाँकि, यह कोई लोकप्रिय धर्म नहीं बन पाया और अकबर के जीवनकाल के बाद इसका पतन हो गया। फिर भी, दीन-ए-इलाही अकबर के धार्मिक विचारों और उसके साम्राज्य में एकता स्थापित करने के प्रयासों का एक महत्वपूर्ण प्रतीक है।

अकबर द्वारा नियुक्त करोड़ी नामक अधिकारी का क्या कार्य था?

अकबर द्वारा फतेहपुर सीकरी का निर्माण कब करवाया गया था?

अकबरनामा एवं आइन-ए-अकबरी की रचना किसने की थी?

अकबर ने 1575 ई० में फतेहपुर सीकरी में किसकी स्थापना कराई थी?

अकबर ने 1591 ई० में जीते हुए खानदेश को दक्षिण भारत में क्या माना जाता था?

अकबर ने अपनी राजधानी आगरा से फतेहपुर सीकरी कब स्थानांतरित किया था?

अकबर ने अपने कार्यकाल के प्रारम्भ में किस स्वर्ण मुद्रा को प्रचलित किया था?

अकबर ने अपने गुजरात विजय की स्मृति में राजधानी फतेहपुर सीकरी में क्या बनवाया था?

अकबर ने आमेर के राजा भारमल के पुत्र भगवान दास को कौन सी उपाधि दी थी?

अकबर ने इलाही संवत कब जारी किया था?

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