अकबर ने 1562 ईसवी में दास प्रथा को समाप्त किया। यह कदम मुगल साम्राज्य के इतिहास में एक महत्वपूर्ण सामाजिक सुधार था। अतिरिक्त जानकारी: दास प्रथा का कारण: उस समय, युद्धों में बंदी बनाए गए लोगों और आर्थिक रूप से कमजोर लोगों को दास बनाया जाता था। यह प्रथा समाज में असमानता और शोषण का प्रतीक थी। अकबर का उद्देश्य: अकबर ने दास प्रथा को समाप्त करने का फैसला सामाजिक न्याय स्थापित करने और मानवतावादी मूल्यों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से लिया था। वह एक न्यायप्रिय शासक थे और समाज में समानता लाना चाहते थे। प्रक्रिया: अकबर ने दास प्रथा को समाप्त करने के लिए कई कदम उठाए। उन्होंने दास व्यापार पर रोक लगाई और दासों को मुक्त करने के लिए कानून बनाए। प्रभाव: अकबर के इस कदम से हजारों दासों को मुक्ति मिली और समाज में मानवीय मूल्यों की स्थापना हुई। हालाँकि, यह उन्मूलन पूरी तरह से सफल नहीं हो पाया क्योंकि गुप्त रूप से यह प्रथा जारी रही। फिर भी, यह एक महत्वपूर्ण प्रयास था जिसने भविष्य के सुधारों के लिए मार्ग प्रशस्त किया। अकबर की नीतियां: अकबर की धार्मिक सहिष्णुता की नीति, जिसमें सभी धर्मों का सम्मान करना शामिल था, और सामाजिक सुधारों के प्रति उनका दृष्टिकोण उनके प्रगतिशील विचारों को दर्शाता है। दास प्रथा का उन्मूलन इसी प्रगतिशील दृष्टिकोण का एक हिस्सा था।

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अकबरनामा एवं आइन-ए-अकबरी की रचना किसने की थी?

अकबर ने 1575 ई० में फतेहपुर सीकरी में किसकी स्थापना कराई थी?

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