अकबर ने अपने शासनकाल की शुरुआत में 'मुहर' नामक स्वर्ण मुद्रा प्रचलित की थी। यह मुद्रा न केवल अकबर के शुरुआती शासनकाल में जारी की गई थी, बल्कि मुगल साम्राज्य में लंबे समय तक सोने की मुख्य मुद्रा बनी रही। मुहर की विशेषताएं: वजन और शुद्धता: मुहर का वजन लगभग 10.95 ग्राम होता था और यह लगभग 98% शुद्ध सोने से बनी होती थी। डिजाइन: इस मुद्रा पर इस्लामी शैली में सुलेख (calligraphy) का उपयोग किया गया था, जिसमें शासक का नाम, उपाधियाँ और कभी-कभी धार्मिक संदेश भी अंकित होते थे। मूल्य: मुहर एक उच्च मूल्य वाली मुद्रा थी, जिसका उपयोग बड़े लेनदेन और शाही खजाने में होता था। यह सामान्य जनता के लिए दैनिक उपयोग की मुद्रा नहीं थी। अकबर का मुद्रा सुधार: अकबर ने अपने शासनकाल में मुद्रा प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए। उसने न केवल सोने की मुहर जारी की, बल्कि चांदी के रुपये और तांबे के दाम (copper dam) भी जारी किए। इन मुद्राओं के वजन और शुद्धता को मानकीकृत किया गया, जिससे व्यापार और वाणिज्य में सुविधा हुई। अकबर की मुद्रा नीति ने मुगल साम्राज्य की अर्थव्यवस्था को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। मुहर के साथ-साथ, अकबर ने इलाही नामक एक और सोने का सिक्का भी जारी किया था, जो आकार में गोल था। महत्व: मुहर न केवल एक आर्थिक उपकरण थी, बल्कि यह मुगल साम्राज्य की शक्ति और समृद्धि का प्रतीक भी थी। यह मुद्रा साम्राज्य के भीतर और बाहर व्यापार को बढ़ावा देने में सहायक थी।

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