गुप्तकाल में रेशम बुनकरों की श्रेणी द्वारा विशाल सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख मंदसौर अभिलेख में मिलता है। यह अभिलेख न केवल इस महत्वपूर्ण घटना की जानकारी देता है, बल्कि गुप्तकालीन शिल्प और धार्मिक मान्यताओं पर भी प्रकाश डालता है। मंदसौर अभिलेख, जो कि वर्तमान मध्य प्रदेश में स्थित है, 473 ईस्वी सन् का है। यह संस्कृत भाषा में लिखा गया है और इसमें रेशम बुनकरों की एक श्रेणी (गिल्ड) द्वारा सूर्य देवता के एक भव्य मंदिर के निर्माण का वर्णन है। यह अभिलेख कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल के बारे में भी जानकारी प्रदान करता है। इस अभिलेख का महत्व कई कारणों से है: शिल्प और व्यापार: यह दर्शाता है कि रेशम बुनकर न केवल अपने शिल्प में कुशल थे, बल्कि आर्थिक रूप से भी इतने समृद्ध थे कि वे एक विशाल मंदिर का निर्माण करवा सकते थे। इससे गुप्त काल में शिल्प और व्यापार की उन्नति का पता चलता है। धार्मिक सहिष्णुता: यह सूर्य देवता के मंदिर के निर्माण को दर्शाता है, जो उस समय लोकप्रिय धार्मिक मान्यताओं को दर्शाता है। यह अन्य धर्मों के प्रति सहिष्णुता को भी इंगित करता है, क्योंकि गुप्त शासकों ने विभिन्न धर्मों को संरक्षण दिया था। सामाजिक संगठन: यह बुनकरों की श्रेणी के संगठित स्वरूप को दर्शाता है, जो सामूहिक रूप से निर्णय लेते थे और बड़े पैमाने पर परियोजनाओं को पूरा करने में सक्षम थे। यह गुप्तकालीन समाज में श्रेणी व्यवस्था के महत्व को दर्शाता है। कला और वास्तुकला: यह अभिलेख उस समय की कला और वास्तुकला के बारे में भी जानकारी देता है, क्योंकि इसमें मंदिर की भव्यता का वर्णन है। संक्षेप में, मंदसौर अभिलेख गुप्तकाल के इतिहास, समाज, धर्म और शिल्प के अध्ययन के लिए एक महत्वपूर्ण स्रोत है। यह रेशम बुनकरों की श्रेणी द्वारा सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख करता है, जो उस समय की समृद्धि, धार्मिक सहिष्णुता और संगठित सामाजिक संरचना का प्रतीक है।

गुप्तकालीन मन्दिर कला का सर्वोत्तम उदाहरण कौन है?

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