चन्द्रगुप्त मौर्य के राज्यपाल पुष्यगुप्त वैश्य ने सुदर्शन झील का निर्माण करवाया था। अतिरिक्त जानकारी: सुदर्शन झील का निर्माण न केवल चन्द्रगुप्त मौर्य के शासनकाल की एक महत्वपूर्ण घटना थी, बल्कि यह प्राचीन भारत में जल प्रबंधन और सिंचाई की उन्नत तकनीकों का भी एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह झील गुजरात के गिरनार क्षेत्र (आधुनिक जूनागढ़ के पास) में स्थित थी। पुष्यगुप्त वैश्य, जो चन्द्रगुप्त मौर्य द्वारा नियुक्त एक स्थानीय राज्यपाल थे, ने इस झील का निर्माण करवाया ताकि आसपास के क्षेत्रों में कृषि और सिंचाई को बढ़ावा दिया जा सके। झील का निर्माण इसलिए महत्वपूर्ण था क्योंकि यह क्षेत्र अर्ध-शुष्क था और पानी की कमी एक गंभीर समस्या थी। झील का उल्लेख बाद के शिलालेखों में भी मिलता है, जैसे कि रुद्रदामन के जूनागढ़ शिलालेख में, जिससे पता चलता है कि यह सदियों तक उपयोग में रही। रुद्रदामन के शिलालेख में यह भी वर्णन है कि झील एक गंभीर तूफान के कारण क्षतिग्रस्त हो गई थी और रुद्रदामन ने इसका पुनर्निर्माण करवाया था। इसके अतिरिक्त, गुप्त शासकों ने भी इस झील का जीर्णोद्धार करवाया था। सुदर्शन झील न केवल सिंचाई के लिए महत्वपूर्ण थी, बल्कि इसने आसपास के क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था और समृद्धि में भी योगदान दिया। यह प्राचीन भारत में जल संरक्षण और प्रबंधन के महत्व को दर्शाता है।

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