चन्द्रगुप्त द्वितीय ने विष्णुपद पर्वत पर विष्णुध्वज की स्थापना की थी। इस घटना का उल्लेख मेहरौली लौह स्तंभ शिलालेख में मिलता है। यह शिलालेख, जो दिल्ली में कुतुब मीनार परिसर में स्थित है, चन्द्र नामक एक शक्तिशाली राजा का वर्णन करता है, जिसकी पहचान इतिहासकारों ने चन्द्रगुप्त द्वितीय से की है। शिलालेख के अनुसार, चन्द्र ने एक विशाल सेना के साथ कई शत्रुओं को पराजित किया था और अपनी विजयों के उपलक्ष्य में विष्णुपद पर्वत पर विष्णुध्वज (भगवान विष्णु का ध्वज) स्थापित किया था। विष्णुपद पर्वत की सटीक पहचान अभी भी बहस का विषय है, लेकिन कुछ विद्वानों का मानना है कि यह बिहार के गया जिले में स्थित विष्णुपाद मंदिर के पास की कोई पहाड़ी हो सकती है। यह मंदिर भगवान विष्णु के पदचिह्नों के लिए प्रसिद्ध है। विष्णुध्वज की स्थापना चन्द्रगुप्त द्वितीय के वैष्णव धर्म के प्रति समर्पण को दर्शाती है। गुप्त शासकों ने वैष्णव, शैव और बौद्ध धर्मों को समान रूप से संरक्षण दिया, लेकिन चन्द्रगुप्त द्वितीय व्यक्तिगत रूप से विष्णु के भक्त प्रतीत होते हैं। यह घटना गुप्त साम्राज्य की शक्ति और प्रतिष्ठा को भी दर्शाती है, जो उस समय अपने चरम पर थी। शिलालेख में चन्द्रगुप्त द्वितीय के द्वारा सिंध क्षेत्र को पार करने और बंग पर विजय प्राप्त करने का भी उल्लेख है, जो उसकी सैन्य सफलताओं को दर्शाता है।

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