गुप्तकाल में सबसे अधिक अभिलेख कुमारगुप्त प्रथम के मिले हैं। यह जानकारी महत्वपूर्ण है क्योंकि यह हमें कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल की विस्तृत जानकारी प्रदान करती है। उनके शासनकाल (लगभग 415 ईस्वी से 455 ईस्वी) के दौरान जारी किए गए अभिलेखों की संख्या अन्य गुप्त शासकों की तुलना में अधिक है। ये अभिलेख विभिन्न प्रकार के हैं, जिनमें शिलालेख (stone inscriptions), ताम्रपत्र (copper plates) और मुहरें (seals) शामिल हैं। इन अभिलेखों से हमें उनके साम्राज्य की सीमा, प्रशासनिक व्यवस्था, धार्मिक विश्वासों और सामाजिक संरचना के बारे में बहुमूल्य जानकारी मिलती है। कुमारगुप्त प्रथम के कुछ महत्वपूर्ण अभिलेख निम्नलिखित हैं: बिलसड़ स्तंभ अभिलेख: यह अभिलेख उनके प्रारंभिक शासनकाल का है और गुप्त वंश की वंशावली और कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों का वर्णन करता है। मंदसौर शिलालेख: यह शिलालेख कुमारगुप्त प्रथम के शासनकाल के दौरान रेशम बुनकरों की एक श्रेणी द्वारा सूर्य मंदिर के निर्माण का उल्लेख करता है, जो उस समय की आर्थिक गतिविधियों और धार्मिक मान्यताओं पर प्रकाश डालता है। दामोदरपुर ताम्रपत्र: इस ताम्रपत्र में भूमि अनुदान का उल्लेख है, जो उस समय भूमि प्रशासन और कृषि व्यवस्था की जानकारी प्रदान करता है। इन अभिलेखों की प्रचुरता दर्शाती है कि कुमारगुप्त प्रथम का शासनकाल अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण और समृद्ध था, जिसके कारण उन्हें विभिन्न प्रशासनिक और धार्मिक कार्यों के लिए अभिलेख जारी करने का अवसर मिला। इसके अतिरिक्त, यह उनके कुशल प्रशासन और साम्राज्य पर मजबूत नियंत्रण का भी संकेत देता है।

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