अकबर ने भूमि की पैमाइश हेतु सिकन्दरी गज के स्थान पर इलाही गज को प्रचलित किया था। अकबर ने मुगल साम्राज्य में भूमि राजस्व प्रणाली को सुव्यवस्थित करने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधार किए। इसी क्रम में, उसने भूमि की पैमाइश के लिए सिकन्दरी गज के स्थान पर इलाही गज को लागू किया। इसके पीछे कई कारण थे: मानकीकरण: सिकन्दरी गज में क्षेत्रीय भिन्नताएं थीं, जिससे भूमि माप में असुविधा और त्रुटियां होती थीं। इलाही गज को एक मानक माप के रूप में स्थापित करने का उद्देश्य पूरे साम्राज्य में एकरूपता लाना था। सटीकता: इलाही गज, सिकन्दरी गज की तुलना में अधिक सटीक और विश्वसनीय माना जाता था। इससे भूमि का सही क्षेत्रफल ज्ञात करने में मदद मिली, जिससे राजस्व निर्धारण में पारदर्शिता आई। प्रशासनिक सुविधा: एक समान माप प्रणाली से भूमि अभिलेखों का रखरखाव और राजस्व संग्रह आसान हो गया। इससे साम्राज्य के विभिन्न हिस्सों में प्रशासनिक कार्यों में समन्वय स्थापित करने में मदद मिली। इलाही गज लगभग 41 इंच का होता था और इसे भूमि माप की इकाई के रूप में व्यापक रूप से इस्तेमाल किया गया। अकबर के इस सुधार ने मुगल साम्राज्य की भूमि राजस्व प्रणाली को अधिक कुशल और न्यायसंगत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इसके अतिरिक्त, यह कदम राजस्व अधिकारियों और किसानों के बीच विवादों को कम करने में भी सहायक सिद्ध हुआ।

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