अकबर ने 1575 ई० में फतेहपुर सीकरी में इबादतखाने की स्थापना कराई थी। यह केवल एक धार्मिक स्थल नहीं था, बल्कि विभिन्न धर्मों के विद्वानों के बीच संवाद और धार्मिक चर्चाओं के लिए एक मंच था। अतिरिक्त जानकारी: उद्देश्य: इबादतखाने का निर्माण अकबर द्वारा विभिन्न धर्मों के बारे में जानकारी प्राप्त करने और सत्य की खोज करने के उद्देश्य से किया गया था। वह यह जानना चाहता था कि कौन सा धर्म सबसे उत्तम है। विद्वानों की भागीदारी: इबादतखाने में मुस्लिम, हिंदू, जैन, ईसाई, और पारसी धर्मों के विद्वानों को आमंत्रित किया जाता था। यहाँ धार्मिक विषयों पर खुली बहस होती थी। परिणाम: इन बहसों के परिणामस्वरूप, अकबर सभी धर्मों के सर्वोत्तम तत्वों को मिलाकर एक नए धर्म, दीन-ए-इलाही, की स्थापना की ओर अग्रसर हुआ। हालांकि दीन-ए-इलाही को व्यापक स्वीकृति नहीं मिली, लेकिन इसने धार्मिक सहिष्णुता के प्रति अकबर के दृष्टिकोण को दर्शाया। स्थान: फतेहपुर सीकरी को राजधानी के रूप में स्थापित करने के बाद, अकबर ने इसे अपनी प्रशासनिक और सांस्कृतिक गतिविधियों का केंद्र बनाया। इबादतखाना इस शहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा था। स्थापत्य: इबादतखाने की वास्तुकला मुगल शैली की है, जो भारतीय और फारसी स्थापत्य तत्वों का मिश्रण है।

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