चन्द्रगुप्त द्वितीय के पदाधिकारी उपरिक, प्रांत के राज्यपाल को कहा जाता था। ये गुप्त साम्राज्य में एक महत्वपूर्ण पद था। उपरिक का पद केवल एक प्रशासनिक पद नहीं था, बल्कि सैन्य और न्यायिक कार्यों का भी निर्वहन करता था।
भूमिका और दायित्व: उपरिक अपने प्रांत में राजा के प्रतिनिधि के रूप में कार्य करता था। उसका मुख्य कार्य प्रांत में शांति और व्यवस्था बनाए रखना, राजस्व संग्रह करना, और राजा के आदेशों का पालन करवाना था। वह प्रांत की सेना का नेतृत्व भी करता था और न्याय संबंधी मामलों में भी निर्णय लेता था।
नियुक्ति और कार्यकाल: उपरिक की नियुक्ति सीधे राजा द्वारा की जाती थी, जो उसकी निष्ठा और क्षमता पर निर्भर करती थी। उनका कार्यकाल निश्चित नहीं होता था और राजा की इच्छा पर निर्भर करता था।
प्रांतीय प्रशासन: गुप्त साम्राज्य प्रांतों (विषयों) में विभाजित था और प्रत्येक प्रांत एक उपरिक के अधीन होता था। उपरिक की सहायता के लिए विभिन्न स्तरों पर अन्य अधिकारी भी होते थे, जो प्रांत के प्रशासन को सुचारू रूप से चलाने में मदद करते थे।
महत्व: उपरिक का पद गुप्त साम्राज्य में केंद्रीय सत्ता को प्रांतों तक पहुंचाने और साम्राज्य को एकीकृत रखने में महत्वपूर्ण था। योग्य और निष्ठावान उपरिक साम्राज्य की स्थिरता और समृद्धि में योगदान करते थे।
उदाहरण: गुप्त अभिलेखों में कई उपरिकों का उल्लेख मिलता है, जिन्होंने अपने-अपने प्रांतों में कुशलतापूर्वक शासन किया।
संक्षेप में, उपरिक चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में एक महत्वपूर्ण प्रांतीय अधिकारी था, जो प्रशासन, सैन्य और न्याय के क्षेत्र में व्यापक अधिकार रखता था और साम्राज्य की स्थिरता में महत्वपूर्ण योगदान देता था।
Answered :- 2022-12-11 17:56:13
Academy