अकबर ने कश्मीर विजय के लिए भगवानदास और कासिम खाँ को भेजा था। यह अभियान 1586 में शुरू हुआ। अकबर की कश्मीर को जीतने की इच्छा कई कारणों से थी: कश्मीर एक रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र था, जो व्यापार मार्गों को नियंत्रित करता था और मुग़ल साम्राज्य की उत्तरी सीमा को सुरक्षित करने में मदद करता था। इसके अतिरिक्त, कश्मीर अपनी प्राकृतिक सुंदरता और उपजाऊ भूमि के लिए प्रसिद्ध था, जिससे मुग़ल शासक प्रभावित थे। भगवानदास एक अनुभवी राजपूत सेनापति थे, जबकि कासिम खाँ एक कुशल मुग़ल सेनापति थे। अकबर ने इन दोनों को संयुक्त रूप से सेना का नेतृत्व करने के लिए नियुक्त किया था ताकि विभिन्न प्रकार की सैन्य विशेषज्ञता का लाभ उठाया जा सके। इस अभियान में मुग़ल सेना को स्थानीय कश्मीरी शासकों से कड़ा प्रतिरोध का सामना करना पड़ा। हालाँकि, मुग़ल सेना की बेहतर सैन्य शक्ति और रणनीति के कारण अंततः मुग़लों ने कश्मीर पर विजय प्राप्त की। कश्मीर को मुग़ल साम्राज्य में शामिल करने से अकबर की शक्ति और प्रभाव में वृद्धि हुई। इसके साथ ही, कश्मीर मुग़ल कला, संस्कृति और साहित्य का एक महत्वपूर्ण केंद्र बन गया। मुग़ल बादशाह अक्सर गर्मी के मौसम में कश्मीर जाते थे और उन्होंने वहाँ कई बाग़ और इमारतें बनवाईं, जो आज भी मौजूद हैं।

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