चन्द्रगुप्त द्वितीय की पुत्री प्रभावती गुप्त का विवाह वाकाटक नरेश रुद्रसेन द्वितीय से हुआ था। यह विवाह गुप्त और वाकाटक राजवंशों के बीच एक महत्वपूर्ण राजनीतिक गठबंधन था। अतिरिक्त विवरण: वाकाटक वंश: वाकाटक वंश दक्कन क्षेत्र (आधुनिक महाराष्ट्र और आसपास के इलाके) में एक शक्तिशाली राजवंश था। रुद्रसेन द्वितीय वाकाटक वंश की प्रमुख शाखा, प्रवरपुर-नंदीवर्धन शाखा से थे। राजनीतिक महत्व: इस विवाह से चन्द्रगुप्त द्वितीय को दक्षिण भारत में अपनी स्थिति मजबूत करने में मदद मिली। वाकाटकों ने गुप्त साम्राज्य को पश्चिमी क्षत्रपों के खिलाफ सैन्य सहायता प्रदान की, जिससे गुप्तों को अपनी पश्चिमी सीमाओं को सुरक्षित करने में सहायता मिली। प्रभावती गुप्त का प्रभाव: रुद्रसेन द्वितीय की अल्प आयु में मृत्यु के बाद, प्रभावती गुप्त ने अपने युवा पुत्रों की संरक्षिका के रूप में वाकाटक साम्राज्य पर शासन किया। इस दौरान, उन्होंने गुप्त साम्राज्य के कई प्रशासनिक और सांस्कृतिक पहलुओं को वाकाटक क्षेत्र में स्थापित किया। उनके शासनकाल के दौरान जारी किए गए ताम्रपत्रों से उनके प्रशासनिक कौशल और धार्मिक सहिष्णुता का पता चलता है। सांस्कृतिक आदान-प्रदान: इस विवाह ने गुप्त और वाकाटक साम्राज्यों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा दिया। इससे कला, साहित्य और धर्म के क्षेत्र में दोनों साम्राज्यों के बीच विचारों का प्रसार हुआ। ऐतिहासिक स्रोत: प्रभावती गुप्त के बारे में जानकारी मुख्य रूप से उनके द्वारा जारी किए गए अभिलेखों, जैसे पूना ताम्रपत्र और रिद्धपुर ताम्रपत्र से मिलती है। ये अभिलेख उनके वंश, शासन और गुप्त साम्राज्य के साथ उनके संबंधों पर प्रकाश डालते हैं।

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